
पक्के रंगों की होली…….
इस रंग बदलती दुनिया में,
पक्के रंगों की होली हो।
सब द्वेष – राग भूला जाए,
बस अपनों की एक टोली हो।
एक छाप नया छोड़ा जाए,
यारों आओ इस होली में,
कोई जात-पात न ऊंच-नीच,
बस हर कोई हम – जोली हो।
जीवन में नित उल्लास भरे,
और रंग – बिरंगे स्वप्न रचे।
हर कड़वाहट से दूर रहे,
बस सच्ची-मीठी बोली हो।
हर कदम सार्थक हो जाए,
हर बाधा हो जाए विफल।
खुशियों से दामन भरा रहे,
मन्नत से भरी हर झोली हो।
हर हृदय में कान्हा बस जाएं,
हर घर वृंदावन हो जाए।
गोकुल की मिट्टी में खेले,
बरसाने जैसी होली हो।
बेरंग कोई न जीता हो,
मायूस न कोई रीता हो।
हर तरफ कहकहों का रेला,
हर ओर हंसी औ ठिठोली हो।
डॉ अनीता त्रिपाठी “ओम”
अध्यापिका, समाजसेविका, कवियत्री,
ग्रेटर नोएडा।