मेरी अधूरी मोहोब्बत
है! मेरा इश्क़ भी अधूरा तुम्हारे नाम के सामने
जैसे अधूरी है राधा श्याम के सामने
कलेजे में जलन आंखों में पानी छोड़ जाती हो
मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो
सताने की अदा ये भी तुम्हारी कम नहीं जाना
घर में अपनी कोई एक जनशानी छोड़ जाती हो।।
घूमकर तेरे चेहरे से
मेरी निगाहें आती है
जैसे तुझे चूमने तेरे
घर तक हवाएं जाती
है तुझे देखे लफ्ज़ भी मैंने
सबसे ये कहा
है दीवाने तेरे जहां तक
ये अदाएं जाती है।।
आओ ले चले इश्क को उस जहां में
जहा फिर से कोई कहानी बने
जहा ग़ालिब नज़्म पढ़ें
जहा फिर से कोई मीरा दीवानी बने।।
रचनाकार – मनीषा जायसवाल