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/दीपों का पर्व//

//दीपों का पर्व//

अहम का मुखौटा उतार दीजिए।

स्नेहिल दीपों को कतार दीजिए।।

🪔

कि इस जीवन यात्रा में मंथरा आए कई..

भाई भरत– लक्ष्मण सा व्यवहार कीजिए।।

🪔

साहित्य और समाज की दृढ़ नींव धर….

रस छंद अलंकारों से पूर्ण त्यौहार कीजिए।।

🪔

देहरी सुनी न रह जाए कहीं केवट संग शबरी की,

ईर्ष्या– द्वेष से परे,खुशियों का हार दीजिए ।।

🪔

अपने अंतर्मन में, व्याप्त तम का विग्रह कर…

सूर्य– चंद्र से तनिक,निर्झर मनुहार कीजिए।।

🪔

पल प्रतिपल ही मनाते चलें दीपों का पर्व “शशि”

कि मीठी वाणी से जगमग सकल संसार कीजिए।।

© शशि चंदन “निर्झर”

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