“उत्तराखंड की साहित्यिक देवी इन्द्रा तिवारी ‘इन्दु’: 3 किताबें, 8 सम्मान, और लंदन तक धूम!”

♦️भारत टाइम्स♦️
देहरादून। साहित्य की दुनिया में जब कोई एक साथ कविता, भजन, और लोकसंस्कृति को अपनी लेखनी से जिलाए, तो नाम आता है श्रीमती इन्द्रा तिवारी ‘इन्दु’ का। प्रवक्ता हरगोविंद सुयाल की इस साहित्यसाधक ने न सिर्फ तीन स्वरचित कृतियों से पाठकों के दिल जीते, बल्कि आठ सम्मानों का ‘हैट्रिक’ लगाकर हावर्ड यूनिवर्सिटी तक में उत्तराखंड का परचम लहराया। यह कहानी है एक ऐसी शख्सियत की, जिसकी कलम से निकले शब्द पर्वतों की तरह ऊँचे और नदियों की तरह गहरे हैं।
‘मोती अंतर्मन के’ से शुरुआत कर उन्होंने कविताओं में मन के सागर से मोती चुने, तो ‘खेलो अबीर गुलाल’ ने होली के उल्लास को गीतों में बाँध दिया। ‘भक्ति के रंग प्रभु के संग’ ने तो भक्ति रस की ऐसी धारा बहाई कि पाठकों ने इसे आत्मा का संगीत बताया। लेकिन इन्दु जी का जादू सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं। विश्व हिंदी रचनाकार मंच ने उन्हें ‘उत्तराखंड काव्य श्री’ दिया, तो बुलंदी साहित्यिक सेवा समिति ने ‘साहित्य श्री’, ‘काव्य रत्न’ और ‘हिंदी गौरव’ जैसे खिताबों से नवाजा। यही नहीं, दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व हिंदी परिषद् ने जब सम्मानित किया, तो उनके आलेख ने ‘स्मारिका’ पत्रिका में जगह पाकर इतिहास रच दिया।
इस सफर का सबसे रोमांचक पड़ाव आया तब, जब गुजरात विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘उत्तराखंड के लोकपर्व’ पर ऑनलाइन व्याख्यान देने का न्यौता दिया। लेकिन इन्दु जी ने जो करिश्मा किया, वह था लंदन की हावर्ड यूनिवर्सिटी के वर्ल्ड रिकॉर्ड कवि सम्मेलन में शिरकत। यहाँ उनकी कविताओं ने न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशी धरती पर भी वाहवाही बटोरी। इसके बाद तो उनका नाम ‘ग्लोबल लिटरेचर आइकन’ बन गया।
उनकी सफलता का राज़? इन्दु जी कहती हैं, “साहित्य वह दर्पण है, जो समाज को उसकी असलियत दिखाता है। मेरी कोशिश है कि इस दर्पण को हर आँगन तक पहुँचाऊँ।” यही जज़्बा उन्हें उत्तराखंड की लोक परंपराओं को आधुनिक कैनवास पर उकेरने के लिए प्रेरित करता है। उनकी रचनाएँ नदी-पहाड़ की लय लिए हुए हैं, तो सम्मानों की फेहरिस्त इतनी लंबी कि गिनते-गिनते उंगलियाँ थक जाएँ।
फिलहाल, साहित्य प्रेमी उनकी अगली कृति का इंतज़ार कर रहे हैं। इन्दु जी की यह यात्रा साबित करती है कि जुनून और समर्पण हो, तो पहाड़ की बेटी भी दुनिया को अपनी कलम से झुका सकती है। उत्तराखंड की यह साहित्यिक देवी आज भी नए शब्दों के मोती गढ़ने में जुटी है, और उनकी हर रचना एक नया इतिहास लिख रही है…