Mahakumbh 2025टॉप न्यूज़देशयूपी

महाकुम्भ की यह धरा सज्जन, संत और ऋषियों की धरा

महाकुम्भ की यह धरा सज्जन, संत और ऋषियों की धरा

महाकुम्भ में भारत की गौरव गाथा बनाम आत्महीनता की भावना पर हुआ व्याख्यान

सभी अतिथियों ने महाकुम्भ के दिव्य आयोजन पर जताया सीएम योगी का आभार

*17 जनवरी, महाकुम्भ नगर।* महाकुम्भ प्रयागराज में दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार द्वारा भारत की गौरव गाथा बनाम आत्महीनता की भावना विषयक व्याख्यान का शुक्रवार को आयोजन हुआ। इस अवसर पर सभी ने एक सुर से महाकुम्भ के दिव्य आयोजन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की जमकर सराहना की।

*गौरव गाथा पर रखें विश्वास*

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपनी गौरव गाथा पर विश्वास रखें और आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ें। हमारी आत्महीनता की भावना हमें पीछे की ओर धकेलती है। एक लंबा कालखंड रहा जब भारत का आध्यात्म और यहां की अर्थव्यवस्था दुनिया को रास्ता दिखाते थे। सबसे बड़ा कारण यह था कि हम अपने आत्म विश्वास के साथ काम करते थे। तकनीकी के मामले में हम सारी दुनिया से सदियों सदियों से आगे थे। भारत का बना हुआ माल कपड़ा, मसाले, चीनी, हीरे जवाहरात और भी बहुत सी चीजें पूरी दुनिया में बिका करते थे। यूरोप में हमारे व्यापारी और मध्य एशिया के व्यापारी कारवां बनाकर आते थे और ट्रेड सरप्लस हमारे पक्ष में था। हमको सोने की चिड़िया सदियों सदियों कहा गया। हम कैसे पीछे छूट गए, इस पर भी बहुत सारे अध्ययन हुए हैं। जब मुस्लिम आक्रांताओं ने हम पर हमला करना शुरू किया, हमको दासता की ओर ले जाना शुरू किया, तो एक मनो वैज्ञानिक दवाब हमारे ऊपर आया और गुलामी की स्थिति बनी। वह चाहे सत्ता की हो, या किसी अन्य प्रकार की हो, वह व्यक्ति को नवाचार से रोकती है।

*भारत के खिलाफ की गई साजिश*

मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी ने अपने संबोधन में कहा कि हम विश्वविद्यालय चलाते थे। बड़े बड़े ग्रंथों के लिखने वाले हैं लेकिन युद्ध के मैदान में हार गए। जीते हुए लोग पराजित हुए लोगों के गुणों का सार्वजनिक स्मरण कभी नहीं करते। ऐसा ही हमारे साथ हुआ। अंत के दो साल अंग्रेजों के शासन में बीते। भांति भांति से हमारे देश के लोगों में यह बात गहराई से बैठाने का प्रयत्न किया गया कि भारत के लोग अशिक्षित लोग हैं। भारत के लोग असभ्य लोग हैं।

*कुम्भ की यह धरा सज्जन, संत और ऋषियों की धरा*

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन देते हुए निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी महाराज ने कहा कि दुनिया के सभी लोग भारत की परंपराओं को मानना, समझना और जानना चाहते हैं। कुम्भ की यह धरा सज्जन, संत और ऋषियों की धरा है। यहां जितनी सेवा हमसे बन पाए, हम करें।

दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ आशीष गौतम भैया जी ने कार्यक्रम में स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर मिशन के संयोजक और कार्यकारी अध्यक्ष संजय चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष महेश चंद्र चतुर्वेदी, सह संयोजक राघवेन्द्र सिंह, अवध बिहारी मिश्र सहित देश भर से आये सेवा मिशन के कार्यकर्ता एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!