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जोधपुर में लड़ाकू विमानों के आगे मंडरा रहा खतरा, एयरफोर्स ने मांगी मदद 

जोधपुर में लड़ाकू विमानों के आगे मंडरा रहा खतरा, एयरफोर्स ने मांगी मदद 

जोधपुर अरुण माथुर |वायुसेना स्टेशन पर अब तक पक्षियों के कारण लड़ाकू विमानों की उड़ान प्रभावित हो रही थी, लेकिन अब एयरफोर्स एरिया और रन-वे के आसपास नील गायों के झुण्ड नजर आने से वायुसेना की मुसीबत बढ़ गई है। एयरक्राफ्ट के उड़ान भरने और उतरने के दौरान अगर नील गाय सामने आ जाती हैं तो विमान क्रेश हो सकता है।जोधपुर सिविल एयरपोर्ट भी वायुसेना के रन-वे का ही इस्तेमाल कर रही है। ऐसे में यात्री विमानों के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है। वायुसेना ने वन विभाग को पत्र लिखकर सहायता मांगी है। वन विभाग शीघ्र ही एयरफोर्स इलाके में साइट विजिट करके नील गायों का सर्वे करेगा और उन्हें अन्यत्र शिफ्टिंग अथवा रोक के लिए उपाय पेश करेगा।

तेंदुए की भी आशंका

वन विभाग के कुछ रिटायर ऑफिसर्स का कहना है कि पिछले दिनों मारवाड़ में तेंदुओं का मूवमेंट काफी बढ़ गया था, क्योंकि उनका रहवास और खाना खत्म हो रहा है। अगर नील गाय एयरफोर्स एरिया तक पहुंच रही है तो आने वाले दिनों में तेंदुआ के भी आने की आशंका है। इन कारणों से बढ़ रही संख्या जोधपुर एयरफोर्स क्षेत्र हरा-भरा है। वहां नील गायों के खाने के लिए पर्याप्त भोजन है। यहां विभिन्न क्वार्टर्स का डम्पिंग स्टेशन अलग-अलग बना हुआ है, जिससे नील गायें चारों तरफ फैल गई हैं। एयरफोर्स क्षेत्र के पास पाबूपुरा, विनायकिया गांव है। सांसी कॉलोनी, ऑफिसर्स मैस, आहुजा कॉलोनी, सेंट्रल स्कूल स्कीम, इंदिरा कॉलोनी और दूसरी झालामण्ड का क्षेत्र लगता है, जहां नगर निगम के कचरा पात्र इधर-उधर फैले हुए हैं। इनमें खाने की वस्तुएं देखते नील गायें नजर आ जाती हैं। वहीं नील गाय साल में दो बार ब्रीडिंग करती हैं। पहले भी पकड़े थे नील गायों के झुण् वर्ष 2017 में भी एयरफोर्स एरिया में नील गायें बढ़ गई थी, तब वन विभाग को सूचित किया गया था। वन विभाग ने अपनी टीम सर्वे के लिए भेजी थी। उस समय पूरे एरिया की तालाबंदी करके नील गायों को घेरा गया था। वन विभाग ने 9 नील गायों को ट्रेंकुलाइज करके वहां से जंगल में शिफ्ट की थी। उस समय वन विभाग ने एयरफोर्स अधिकारियों को कुछ सुझाव भी दिए थे, लेकिन फिर से अब नील गायें बढ़ गई हैं।

एयरफोर्स ने हमसे मदद मांगी है। हम एयरफोर्स एरिया की साइट विजिट करके नील गायों की जानकारी लेंगे। उसके बाद कोई कार्रवाई करेंगे।

सरिता चौधरी, उप वन संरक्षक (वन्य जीव), जोधपुर

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