नई दिल्ली सीट: दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे और मौजूदा मुख्यमंत्री के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, किसकी होगी जीत?
♦️भारत टाइम्स न्यूज़♦️
(रितु वर्मा डिजिटल ऐडिटर)
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की राजनीति इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट पर केंद्रित है, जहां त्रिकोणीय मुकाबला इस चुनाव का सबसे बड़ा आकर्षण बन गया है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच जोरदार टक्कर होने वाली है।
आम आदमी पार्टी की ओर से एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी मैदान में हैं। यह वही सीट है, जहां से उन्होंने 2013 में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाई थी। केजरीवाल तब से लगातार इस सीट पर कब्जा जमाए हुए हैं और इस बार भी वे अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने इस बार शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा है। संदीप न केवल अपनी मां की राजनीतिक विरासत को संजीवनी देने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि 11 साल पहले केजरीवाल से मिली हार का बदला लेने की तैयारी में भी हैं। संदीप को कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक और अपनी मां के कामों पर भरोसा है।
तीसरी तरफ भाजपा ने प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है। प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और पार्टी की परंपरागत छवि को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं। प्रवेश का फोकस नई दिल्ली सीट के पारंपरिक मतदाताओं और भाजपा के कैडर पर है।
मुकाबला क्यों है रोचक?
इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें तीन बड़े नाम और परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। अरविंद केजरीवाल जहां एक अनुभवी नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री हैं, वहीं संदीप दीक्षित और प्रवेश वर्मा भी राजनीतिक परिवारों से आते हैं और अपनी पहचान बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
नई दिल्ली विधानसभा सीट को हमेशा से दिल्ली की राजनीति का केंद्र माना गया है। यह सीट कई बार सत्ता परिवर्तन का संकेत भी देती रही है। 2013 में शीला दीक्षित की हार के बाद से यह सीट आम आदमी पार्टी का गढ़ बन गई थी। हालांकि, अब कांग्रेस और भाजपा इसे फिर से जीतने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
तीनों उम्मीदवारों की ताकत और कमजोरियां
अरविंद केजरीवाल: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के कामकाज, बिजली-पानी सब्सिडी, और शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए सुधार उनके सबसे बड़े हथियार हैं। हालांकि, विपक्ष उन पर आरोप लगा रहा है कि वे राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार से बार-बार टकराव का माहौल बनाते हैं।
संदीप दीक्षित: कांग्रेस के इस युवा नेता को अपनी मां शीला दीक्षित की छवि और उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों का सहारा है। हालांकि, कांग्रेस की कमजोर संगठनात्मक स्थिति उनके लिए चुनौती बन सकती है।
प्रवेश वर्मा: भाजपा का मजबूत कैडर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता उनके पक्ष में है। लेकिन स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय विकास पर भाजपा के कमजोर प्रदर्शन का असर उनके वोट बैंक पर पड़ सकता है।
क्या कहता है क्षेत्र का मिजाज?
नई दिल्ली सीट पर हमेशा शहरी और मध्यम वर्ग का प्रभुत्व रहा है। इस बार भी यह वर्ग तय करेगा कि अगला विधायक कौन होगा। हालांकि, युवा मतदाताओं की भूमिका भी निर्णायक हो सकती है।
नई दिल्ली सीट पर इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। यह मुकाबला न केवल राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा का सवाल है, बल्कि यह दिल्ली की अगली सरकार की दिशा तय करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अरविंद केजरीवाल लगातार चौथी बार जीत हासिल कर पाएंगे, या फिर कांग्रेस और भाजपा में से कोई उन्हें चुनौती देने में सफल होगा।