एसएचओ सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का नोटिस

एसएचओ सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का नोटिस
जोधपुर अरुण माथुर । राज्य सरकार ने सिरोही जिले के बरलूट थाने में तैनात तत्कालीन प्रभारी सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में अर्जी दायर की है। इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस फरजंद अली ने सीमा जाखड़ को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि उनकी जमानत क्यों न रद्द कर दी जाए।राज्य सरकार की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि 20 जुलाई 2022 को जस्टिस रामेश्वर व्यास द्वारा पारित जमानत आदेश में यह मान लिया गया था कि मामला केवल आईपीसी की धारा 221 के तहत दर्ज है, जिसमें तीन साल से अधिक की सजा नहीं होती। लेकिन असल में मामला एनडीपीएस एक्ट की कई गंभीर धाराओं (धारा 8, 15, 27-ए, 29 और 59) के साथ साथ आईपीसी की धारा 483 और 221 से जुड़ा हुआ था। इसमें राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित जमानत आदेश में केवल धारा 221 आईपीसी के आरोप पर ही विचार करने का तथ्य तब सामने आया, जब जस्टिस फरजंद अली अन्य सहआरोपियों की जमानत पर सुनवाई कर रहे थे। सहआरोपियों के अधिवक्ताओं ने सीमा जाखड़ को जमानत मिलने के तथ्य के आधार पर जमानत चाही तो जस्टिस अली ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा था कि उन्होंने सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए क्या कदम उठाए हैं, इससे न्यायालय को अवगत करवाया जाए। जिस पर बाद में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए प्रार्थना-पत्र पेश किया था।सीमा जाखड़ उस समय थाना प्रभारी (एसएचओ) के पद पर तैनात थीं और एक बड़ी साजिश की सूत्रधार बताई जा रही है। आरोप है कि उन्होंने घटनास्थल को बदलकर मामले की दिशा मोडने और असली अपराधियों को बचाने की कोशिश की। उन्होंने एक वाहन को रोका, जिसमें भारी मात्रा में मादक पदार्थ (ड्रग्स) ले जाया जा रहा था। आरोप है कि सीमा जाखड़ ने असली तस्करों को फरार होने दिया और किसी निर्दोष व्यक्ति को को झूठे केस में फंसा दिया। उन्होंने राज्य एजेंसी को गलत दिशा में जांच करने के लिए गुमराह किया। राज्य सरकार का कहना है कि सीमा जाखड़ को गलत आधार पर जमानत मिल गई थी, क्योंकि कोर्ट ने केवल आईपीसी की एक हल्की धारा को ध्यान में रखा, जबकि मामला एनडीपीएस एक्ट के तहत गंभीर अपराधों से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने इस अर्जी पर संज्ञान लेते हुए सीमा जाखड़ को नोटिस जारी किया है। उनसे पूछा गया है कि उनकी जमानत क्यों न रद्द कर दी जाए। मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी। अदालत ने सरकार की ओर से पेश किए गए हलफनामे को भी रिकॉर्ड में ले लिया है। हाईकोर्ट ने जोधपुर पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह सीमा जाखड़ को नोटिस तामील कराएं। यह मामला अब बड़ा मोड़ ले सकता है, क्योंकि इसमें पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हैं। आगे की सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई है।