शीतल जलधारा तपस्या का दूसरा चरण: नागराज पुरी महाराज सुबह 4 बजे ठंडे पानी से करते स्नान, 100 मटके शाम को भरकर रखते
जोधपुर अरुण माथुर | के श्री औघड़नाथ आश्रम के श्री दिगंबर नागराज पुरी महाराज की शीतल जलधारा तपस्या का दूसरा चरण शनिवार को नागाणा मंडली में पूरा होगा। अलसुबह 4 से 5 बजे के बीच 6 से 7 डिग्री तापमान में श्री दिगंबर इन दिनों अनूठी तपस्या कर रहे हैं। 12 घंटे पहले भरकर रखे ठंडे पानी के करीब 100 मटकों के साथ जलधारा तपस्या की जा रही है। सनातन संस्कृति के उत्थान के उद्देश्य के साथ की जा रही इस तपस्या को लेकर बड़ी संख्या में भक्त जुटे हुए हैं। श्री दिगम्बर ने बताया- यह एक हठयोग साधना होती है, जो ग्रीष्मकाल, वर्षाकाल और सर्द मौसम में की जाती है। ग्रीष्मकाल के समय इसे वैशाख व चैत्र मास के बीच किया जाता है, जिसमें पांच से सात अग्नि कुंड के बीच बैठकर गर्मी के मौसम में तपस्या की जाती है। यह 108 धूणी तक भी होती है जबकि बारिश के समय में बहते हुए पानी के अंदर बैठकर तपस्या की जाती है। वहीं सर्दी के मौसम में शाम के समय पानी के मटकों में भरकर जल रखा जाता है, जिसे खुले मैदान में रात भर रखा जाता है। अलसुबह इन्हीं मटकों के जल से स्नान किया जाता है, जिसे जलधारा तपस्या कहते हैं।तपस्या के चार चरण हैं, जो 45 दिन की है। पहला चरण 11 दिनों का था, जो भांडू गांव में सम्पन्न हुआ। दूसरा चरण नागाणा के पास चल रहा है। इसका उद्देश्य से सनातन संस्कृति का प्रचार करना है। भारत पूर्व में विश्व का गुरू कहलाता था, लेकिन आक्रांताओं के आक्रमण के बाद भारत की खोई छवि व सनातन संस्कृति के उत्थान के उद्देश्य को लेकर यह तपस्या की जा रही है।