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813वें उर्स की अनौपचारिक शुरूआत झंडे की रस्म के साथ शुरू

813वें उर्स की अनौपचारिक शुरूआत झंडे की रस्म के साथ शुरू

गौरी परिवार ने की रस्म अदायगी

(हरिप्रसाद शर्मा) अजमेर/ख्वाजा गरीब नवाज का सालाना 813वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म के साथ शुरू हो गई। भीलवाड़ा शहर के लाल मोहम्मद गौरी के परिवार ने ख्वाजा साहब की दरगाह स्थित ऐतिहासिक बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म को अदा किया। वहीं, गरीब नवाज के उर्स की विधिवत शुरुआत रजब का चांद दिखाई देने के बाद से एक या दो जनवरी से शुरू हो जाएगी।

झंडे का जुलुस असर की नमाज के बाद गरीब नवाज गेस्ट हाउस से रवाना हुआ, जिसमें शाही चौकी के कव्वालों द्वारा कव्वालियों व बैंड बाजों के जुलुस के साथ लंगरखाना गली, निजाम गेट होते हुए जुलुस दरगाह के मुख्य द्वार निजाम गेट से अंदर प्रवेश किया। इस रस्म के दौरान अकीदतमंदों में एक अजीब सी होड़ मच गई और अपनी मन्नत को लेकर हर कोई झंडे को चूमने की खाव्हिश पूरी करता नजर आया।

भीलवाड़ा से आए गौरी परिवार के अनुसार यह परंपरा काफी अरसे से चली आ रही है। 1928 से फखरुद्दीन गौरी के पीरो मुर्शिद अब्दुल सत्तार बादशाह झंडे की रस्म अदा करते थे। इसके बाद 1944 से उनके दादा लाल मोहम्मद गौरी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। उनके इंतकाल के बाद 1991 से पुत्र मोईनुद्दीन गौरी यह रस्म निभाने लगे और वर्ष 2007 से फखरुद्दीन गौरी इस रस्म को अदा कर रहे हैं।

बताया जाता है कि वर्षों पहले झंडे की रस्म शुरू हुई, तब बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया झंडा आसपास के गांवों तक नजर आता था। उस वक्त मकान छोटे-छोटे और बुलंद दरवाजा काफी दूर से नजर आता था। इस दरवाजे पर झंडा देखकर ही लोग समझ जाते थे कि पांच दिन बाद गरीब नवाज का उर्स शुरू होने वाला है। यह संदेश एक से दूसरे तक दूर-दूर तक पहुंच जाता था।

वर्षों पुरानी इसी रस्म को निभाते हुए आज गरीब नवाज की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार ने झंडा चढ़ाकर उर्स की अनौपचारिक शुरुआत की। झंडे की रस्म में हजारों की संख्या में जायरीनों की भीड़ उमड़ी। झंडे की रस्म के दौरान भारी संख्या में पुलिस जाब्ता मौजूद रहा।

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