जोधपुर हाईकोर्ट में जमानत के दायर की नई याचिका, रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली है राहत
जोधपुर अरुण माथुर | आसाराम बापू ने जमानत के लिए जोधपुर हाईकोर्ट में एक नई याचिका दायर की है। यह नई याचिका आसाराम बापू ने नाबालिग के साथ रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद दायर की है। बता दें कि आसाराम बापू आजीवन कारावास की सजा काट रहे है। खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और राजेश बिंदल की खंडपीठ ने मंगलवार को मेडिकल ग्राउंड पर आसाराम को 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी। अगस्त 2013 में गिरफ्तारी के बाद से यह पहली बार है जब आसाराम को किसी भी अदालत से कोई बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला गांधीनगर में हुए नाबालिग से रेप मामले से जुड़ा है, जिसमें आसाराम को जनवरी 2023 में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, यह राहत आसाराम के लिए जोधपुर सेंट्रल जेल से बाहर आने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। जहां वह अपने गुरुकुल की एक किशोरी से बलात्कार के एक अलग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।कानूनी कार्यवाही और जमानत की शर्तें
जोधपुर में आसाराम के वकीलों में से एक निशांत बोरा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की राहत केवल गांधीनगर मामले पर लागू होती है। इसलिए, जब तक जोधपुर उच्च न्यायालय इसी तरह की राहत नहीं देता, तब तक आसाराम को इसका लाभ नहीं मिल सकता। बोरा ने कहा, “हमने सजा निलंबन के लिए इसी तरह के अनुरोध के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया है।आसाराम द्वारा प्रस्तुत याचिका में जमानत मांगने के कारणों के रूप में उनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला दिया गया है। इसके अतिरिक्त, इसने अपने तर्क के हिस्से के रूप में जेल में बिताए गए लंबे समय को भी उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले उन्हें इलाज के लिए पैरोल पूरी करने और 1 जनवरी को जेल लौटने के तुरंत बाद चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी थी।सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रभाव
जस्टिस एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल की खंडपीठ ने यह अस्थायी राहत दी। इस घटनाक्रम के बावजूद, आसाराम को एक अन्य मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण जेल में रखा गया है। उनकी कानूनी टीम जोधपुर सेंट्रल जेल से उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए आगे न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रही है।
एक दशक से भी ज़्यादा समय पहले गिरफ़्तारी के बाद से आसाराम की कानूनी यात्रा चुनौतियों से भरी रही है। हाल ही में हुए घटनाक्रमों से पता चलता है कि उनके वकील न्यायिक फ़ैसलों का फ़ायदा उठाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हालाँकि, जोधपुर उच्च न्यायालय से अतिरिक्त राहत के बिना, आसाराम की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
जेल से बाहर न आने की वजह?
दरअसल, आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से 31 मार्च तक की अंतरिम जमानत अहमदाबाद केस में मिली है. लेकिन जेल से बाहर आने के लिए उसे जोधपुर रेप केस में भी जमानत लेनी होगी. क्योंकि आसाराम को जोधपुर मामले में ही दोषी करार दिया गया है. इसी कारण आसाराम फिलहाल जेल में ही रहेगा. आसाराम के वकीलों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम जमानत मिलने के बाद अब जोधपुर मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत की अर्जी दाखिल की जाएगी.
खारिज हो चुकी है सजा निलंबन की याचिका
गुजरात हाई कोर्ट ने 29 अगस्त 2024 को आसाराम की सजा निलंबित करने की याचिका खारिज कर दी थी और इस मामले में राहत देने का कोई आधार नहीं पाया. सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था. गांधीनगर की एक अदालत ने जनवरी 2023 में आसाराम को 2013 के मामले में दोषी ठहराया था. यह मामला गांधीनगर के पास उनके आश्रम में रहने वाली महिला ने दर्ज करवाया था.
अब तक कितनी बार मिली परौल
आसाराम 2 सितंबर 2013 से जेल में है. उसे 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने नाबालिक के साथ रेप का दोषी ठहराया था और अंतिम सांस तक उम्र कैद की सजा सुनाई थी. पहली बार 13 अगस्त 2024 को आसाराम को 7 दिन की पैरोल मिली थी, ताकि वह पुणे के माधव बाग में स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल में अपना इलाज करवा सके. इसके बाद 7 नवंबर 2024 को दूसरी पैरोल मिली, जो 30 दिन की थी. इसमें आसाराम को जोधपुर में ही स्थित एक प्राइवेट आयुर्वेद हॉस्पिटल में इलाज की अनुमति दी गई थी. यह पैरोल पूरी होने से पहले आसाराम ने फिर से एप्लीकेशन लगाई और इलाज के लिए टाइम मांगा. इस पर हाईकोर्ट ने 17 दिन की पैरोल के लिए मंजूरी दी और जोधपुर में प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए 5 दिन का एक्सटेंशन भी दिया. इसके बाद 17 दिन के पैरोल मंजूर की गई, जिसमें दो दिन पुणे पहुंचने के और 15 दिन इलाज के लिए दिए गए थे. आसाराम को अब तक जो भी पैरोल मिली है, वह सिर्फ इलाज के लिए है.
जमानत के लिए नामचीन वकीलों की कर दी फौज खड़ी
इसके बाद आसाराम ने जमानत हासिल करने के लिए अधीनस्थ न्यायालय, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक कई याचिकाएं पेश की। लेकिन आसाराम को कभी भी अंतरिम जमानत तक नहीं मिली। आसाराम ने जमानत हासिल करने के लिए दिग्गज वकीलों की फौज खड़ी कर दी, जिसमें राम जेठमलानी, सुब्रमण्यम स्वामी, मुकुल रोहतगी, केटीएस तुलसी और सिद्धार्थ लूथरा सहित कई नामी गिरामी विधि विशेषज्ञ वकीलों ने आसाराम की पैरवी अधीनस्थ न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट में की लेकिन आसाराम को कभी आंशिक राहत तक नहीं मिली।