बलिया के आर.एस.एस. गुरुकुल
एकेडमी में खेल, शिक्षा और भारतीय संस्कृति का आदर्श संगम
तीन दिवसीय खेलकूद प्रतियोगिता में विजेता टीम को प्रशस्ति पत्र और मेडल से नवाजा गया
♦️ भारत टाइम्स न्यूज ♦️
रंजना वर्मा/कृष्णा गुप्ता ब्यूरो
बलिया। जिले की शिक्षा के मंदिरों में छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद और संस्कार सिखाने के लिए विख्यात आर.एस.एस. गुरुकुल सीनियर सेकेंडरी एकेडमी, जमालपुर, कटघरा, बंशीबाजार में 14 से 16 नवंबर 2024 तक आयोजित वार्षिक खेल महोत्सव ने न केवल छात्रों की खेल प्रतिभा को निखारा, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से जोड़ने का प्रयास भी किया। यह विद्यालय शिक्षा के साथ-साथ खेल और भारतीय संस्कृति को विशेष महत्व देता है।
विद्यालय के प्रबंध निदेशक जय प्रताप सिंह जो शिक्षा और संस्कार के समर्पित संरक्षक माने जाते हैं, ने खेल महोत्सव का नेतृत्व करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य बच्चों को शारीरिक, मानसिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत बनाना है। शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है; यह जीवन के हर पहलू में अनुशासन और आत्मनिर्भरता सिखाने का माध्यम है।”
तीन दिवसीय इस आयोजन का शुभारंभ मुख्य अतिथि क्राइम इंस्पेक्टर नरेश कुमार मलिक, विशिष्ट अतिथि शिवमूर्ति तिवारी (चौकी प्रभारी, माल्दा), राज कमल यादव (वरिष्ठ एसआई, डूहा) और विद्यालय के निदेशक निशु सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। छात्रों ने अनुशासन और उत्साह का परिचय देते हुए आकर्षक मार्चपास्ट किया।
खेल महोत्सव में कबड्डी, बैडमिंटन, साइकिल रेस, वॉलीबॉल और लंबी कूद जैसे विभिन्न खेलों का आयोजन किया गया। इन खेलों ने छात्रों के भीतर छिपे आत्मविश्वास और जुनून को सामने लाया। खासतौर पर बालिकाओं की भागीदारी ने सबका ध्यान आकर्षित किया। वॉलीबॉल और साइकिल रेस में उनके प्रदर्शन को प्रबंध निदेशक ने विशेष रूप से सराहा।
जय प्रताप सिंह ने कहा, “हमारे यहां खेल सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं है, यह बच्चों को मेहनत, समर्पण और टीम भावना सिखाने का जरिया है। खेलों के माध्यम से बच्चे जीवन के बड़े संघर्षों के लिए तैयार होते हैं।”
विद्यालय का यह प्रयास छात्रों को भारतीय संस्कृति से भी जोड़ता है। हर खेल के साथ छात्रों को भारतीय परंपराओं और मूल्यों की शिक्षा दी जाती है। प्रबंध निदेशक ने कहा कि “हमारी संस्कृति हमारे बच्चों की जड़ों को मजबूत करती है। यह खेल महोत्सव केवल शारीरिक विकास का मंच नहीं, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को सिखाने का प्रयास भी है।”
मुख्य अतिथि नरेश कुमार मलिक ने छात्रों की ऊर्जा और उत्साह की प्रशंसा करते हुए कहा, “खेल बच्चों को जीवन में अनुशासन और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने का सबसे अच्छा जरिया है।”
कार्यक्रम का समापन पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ, जिसमें विजेताओं को ट्रॉफी, प्रमाणपत्र और मेडल प्रदान किए गए। इस अवसर पर निदेशक निशु सिंह ने बालिकाओं के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए कहा, “आप सभी ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से हर क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है।”
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने सभी अतिथियों, शिक्षकों और छात्रों का आभार व्यक्त किया और कहा, “आर.एस.एस. गुरुकुल केवल शिक्षा और खेल का केंद्र नहीं, बल्कि यह बच्चों के सर्वांगीण विकास का प्रतीक है।”
आर.एस.एस. गुरुकुल का यह वार्षिक खेल महोत्सव भारतीय संस्कृति, शिक्षा और खेलों के समन्वय का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। जय प्रताप सिंह के नेतृत्व में यह विद्यालय बच्चों के भविष्य को केवल शिक्षित ही नहीं, बल्कि संस्कारित भी कर रहा है।