सुभासपा की प्रमुख महासचिव सुनीता राजभर ने अपने पद से दिया इस्तीफा
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
♦️ भारत टाइम्स न्यूज ♦️
शीतल निर्भीक/रंजना वर्मा ब्यूरो
लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की प्रमुख महासचिव (महिला मंच) सुनीता राजभर ने अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मूल रूप से लार थाना क्षेत्र के मझवलिया नंबर 3 गांव की निवासी सुनीता ने कम समय में प्रदेश स्तर तक अपनी पहचान बनाई थी। उनके इस्तीफे से सुभासपा में खलबली मच गई है।
सुनीता ने पार्टी की नीतियों पर उठाए सवाल
सुनीता ने अपने बयान में कहा, “पिछले कुछ महीनों से मैं देख रही हूं कि पार्टी की नीतियां समाजहित से भटक रही हैं। पार्टी अब केवल व्यक्तिगत लाभ और परिवारवाद की ओर बढ़ रही है।” उन्होंने पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे समाज के लिए हानिकारक बताया।
पार्टी के उद्देश्यों से भटकाव
सुनीता ने सुभासपा के मूल उद्देश्यों का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी का फोकस पहले समान और अनिवार्य शिक्षा, बिजली बिल माफी, राजभर आरक्षण, शराबबंदी, महिला भागीदारी, वोटर पेंशन जैसे मुद्दों पर था। लेकिन अब ये सभी मुद्दे पीछे छूट गए हैं, और पार्टी केवल सत्ता तक सीमित हो गई है।
“सत्ता के नशे में अंधी हो गई है पार्टी”
सुनीता ने आरोप लगाया कि पार्टी का नेतृत्व सत्ता के नशे में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा, “जो लोग पार्टी को सत्ता तक ले गए, आज उन्हीं के साथ मारपीट, रेप और अन्याय हो रहा है, लेकिन पार्टी नेतृत्व इन घटनाओं को अनदेखा कर रहा है।”
क्षेत्रीय राजनीति में चर्चा का विषय
सुनीता राजभर के इस्तीफे ने लार और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का माहौल बना दिया है। लोग उनके साहसिक कदम की सराहना कर रहे हैं। कई लोग इसे पार्टी के भीतर गहराते मतभेदों का परिणाम मान रहे हैं।
पार्टी के अंदरूनी हालात पर सवाल
सुनीता के इस्तीफे से सुभासपा के अंदरूनी हालात पर सवाल खड़े हो गए हैं। उनके इस फैसले को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
आगे की राह पर नजरें
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि सुनीता राजभर आगे कौन सा कदम उठाएंगी। क्या वह किसी अन्य राजनीतिक दल से जुड़ेंगी, या अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाएंगी?
महिला नेतृत्व का एक बड़ा उदाहरण
सुनीता का यह कदम न केवल सुभासपा बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति में महिला नेतृत्व की शक्ति को दर्शाता है। उनका यह साहसिक निर्णय समाज में महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकता है।
सुनीता राजभर का इस्तीफा पार्टी के लिए एक चेतावनी है कि अगर नीतियों में बदलाव नहीं किया गया, तो पार्टी के अन्य नेताओं का विश्वास भी डगमगा सकता है।