Poem

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    रंग दे कलम

    रंग दे कलम विषय-होली/फाग मन के भेद पिया संग खोले,चोरी चोरी नैना बोले। झूम झूम कर तन मन डोले,प्रेम रंग…

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    मैं खुशनसीब हूँ कि भारत मेरा देश है…

    मैं खुशनसीब हूँ कि भारत मेरा देश है… हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्म एक समान है, हिंदुस्तान का तिरंगा…

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    शीर्षक :- फाग

    शीर्षक :- फाग विधा :- मनहरण घनाक्षरी 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 (१) गोकुल मची है धूम होलियार रहे घूम मस्ती में मलंग होके…

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    पक्के रंगों की होली…….

    पक्के रंगों की होली……. इस रंग बदलती दुनिया में, पक्के रंगों की होली हो। सब द्वेष – राग भूला जाए,…

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    .. उजड़े ख़्वाब…

    … उजड़े ख़्वाब… सजाए जितने ख़्वाब सारे उजड़ते चले गए संवरने की ख़्वाहिश में और बिगड़ते चले गए   रिश्तों…

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    🙏✍️”अभी मैं बच्ची हूँ”✍️🙏

    🙏✍️”अभी मैं बच्ची हूँ”✍️🙏 अभी मैं बच्ची हूँ, उम्र की कच्ची हूँ, हूँ पापा की परी, दिल की सच्ची हूँ।…

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    मेरी अधूरी मोहोब्बत

    मेरी अधूरी मोहोब्बत है! मेरा इश्क़ भी अधूरा तुम्हारे नाम के सामने जैसे अधूरी है राधा श्याम के सामने कलेजे…

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  • देश

    कन्या नही मिली 

    कन्या नही मिली  पसीने से लथपथ राज घर पर आया। राधा-राधा एक गिलास पानी दो अपनी पत्नी को आवाज़ लगाते…

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