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समाज में महिलाओं की प्रधानता और नेतृत्व

समाज में महिलाओं की प्रधानता और नेतृत्व

जो कहते है नारी में दम नहीं होता। जो कहते है नारी तो बेबस, लाचार, दुर्बल होती है। ज़रा खंघाल कर देखो तुम इतिहास तो पता चले कि पन्नों पन्नों पर अंकित है उनकी गौरव गाथा। युद्ध के मैदान में वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अँग्रेजो को धूल चटाई। अंतरिक्ष में कल्पना चांवला ने उड़ान भरी। राजनीति में इंदिरा गांधी, नेहरु की लाडली ने प्रधानमंत्री बन अपनी धाक जमाई। खेल के मैदान में पीटी उषा ने दौड़ में ऊंची छलांग लगा देश का नाम रोशन किया। मदर टेरेसा ने मानवता की रक्षा में अपना जीवन समर्पित किया। सरोजिनी नायडू भारत की कोकिल बन, देश में स्वतंत्रता की ज्वाला जलाई। लता मंगेशकर, स्वर माधुर्य की रानी ने अपने गीतों से सबको मंत्रमुग्ध किया। हर क्षेत्र में ऐसी कई नारी का वर्चस्व है। हर क्षेत्र में नारी ने अपने बल पर अपनी पहचान बनाई है। घर की चारदीवारी से निकल, दुनियां में छाई और अपनी क्षमता से सबका दिल लुभाया। दुनियां को दिखाया कि नेतृत्व क्षमता में नारी पुरुषों से कम नहीं है। आज कई देशों में सरकार, व्यवसाय, उच्च शिक्षा, गैर-लाभकारी उद्यमों और जीवन के अन्य क्षेत्रों में कई महिलाएं नेतृत्व प्रदान कर रही है।

नारी की महिमा व गरिमा सदा से ही कल्याण करने वाली है। नारी शक्ति का सागर हैं जो हर मुश्किल से पार उतर जाती हैं। नारी साहस की प्रतिमूर्ति हैं जो हर चुनौती का सामना करती हैं। घर की ज़िम्मेदारियाँ, बाहर की दुनियां की जंग, सबकुछ सँभालती है। कर्तव्य की डोर से बंधी, हर फर्ज़ को वो निभाती है। समाज की दोहरी मानसिकता सहकर भी कर्त्तव्य से पीछे नहीं हटती है। माँ, बहन, पत्नी, बेटी, हर रूप में वो अद्भुत है। नारी (स्त्री) में प्रकृति का हर भाव मिश्रित है। नारी घर की नींव हैं, सृष्टि का आधार है, जीवन का संचार है। नारी हमारे समाज की रीढ़ हैं, और देश की शान भी हैं।

तो जो कहते हैं नारी में दम नहीं होता, वो अपनी सोच को बदलें। क्योंकि नारी दुर्बल व अबला नहीं है, ना ही वो लाचार है। बल्कि नारी तो सबल सक्षम और महान है, जो संभाल रही है घर के साथ साथ देश को भी और हर छेत्र में बेहतर करके दिखा रही है। सत्ता के सिंहासन पर बैठने का और नीति निर्माण का नारी को भी बराबर का अधिकार है। उससे उसका ये हक़ ना छीनकर, आओ राजनीति में नारी शक्ति को सम्मान दें, उसका समर्थन करें, और उसका मनोबल बढ़ाए।

“सशक्त नारी है, राष्ट्र की शान।” – राष्ट्र की ये शान जब अधिक संख्या में सत्ता के सिंहासन पर विराजेंगी तो न्याय की गंगा बहेगी, अत्याचार का नाश होगा और शक्ति का संचार होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, विकास में भी जब उनकी भागीदारी होगी, तो नारी सशक्तिकरण से हमारा समाज बदलेगा और खुशियां बरसेगी। नर के साथ तब नारी शक्ति की जय हो का भी जयकारा गूंजेगा।

“नारी है जीवन का आधार, नारी है खुशियों का संसार।“ तो आओ सभी मिलकर करें नारी का सम्मान, नारी की रक्षा और नारी शक्ति का करें अभिमान। साथ ही उसे शिक्षित कर उसे आगे बढ़ने का अवसर दे और रूढ़ीवादी, कुंठित विचारधारा का बहिष्कार करें। क्यूंकि इसमें ही है समाज का विकास और देश का उद्धार।

सुमन मीना (अदिति)

लेखिका एवं साहित्यकार

नजफगढ़, दिल्ली

 

 

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