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अफीम तस्करी व नशे पर केंद्रीय गृह मंत्री को खुला पत्र

अफीम तस्करी व नशे पर केंद्रीय गृह मंत्री को खुला पत्र

अफीम खेती के प्रस्तावों से मूल मांगे गायब, तस्करों के हित साधे

श्रीमान् अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री (भारत सरकार)

माननीय गृह मंत्री महोदय आपने दस वर्ष पूर्व गृह मंत्री का पद संभालने के साथ ही बाद में नारकोटिक्स, पुलिस व अन्य अधिकारियों की बैठकों में एक बात कही थी कि हमें देश के युवाओं को नशे के जाल से मुक्त करना है और नशामुक्त भारत बनाना है। आपके आदेशानुसार नशे के विरूद्ध कार्य करने वाली सुस्त पड़ी तमाम एजेंसियों ने इस कार्य को एक अभियान बनाया और अब तक बड़ी मात्रा में नशे के जखीरों के साथ तस्करों को भी पकड़ा है। नशे में बुरी तरह फंसे पंजाब और हरियाणा के हर चुनावों में आप अपनी चिंताएं भी व्यक्त करते हैं जो स्वागत योग्य है लेकिन कभी आपने अफीम उत्पादन के सबसे बड़े मेवाड़ व मालवा क्षेत्र से जुड़े अपने ही जनप्रतिनिधियों की बयानों अथवा क्रिया कलापों पर गौर नहीं किया कि वे किस तरह से राजनीतिक अथवा आर्थिक कारणों के चलते लगातार इस क्षेत्र में अफीम व डोडा चूरा तस्करी को बढ़ावा दे रहे हैं। यही अफीम व डोडा चूरा हरियाणा व पंजाब के युवाओं को खोखला कर रहा है। आज पंजाब व हरियाणा की तरह मेवाड़ व मालवा के शहर से लेकर गांव तक के युवा नशे के आदि होकर जघन्य अपराधों में लिप्त हो रहे है जो बड़ी चिंता का विषय है और युवाओं का भविष्य बचाने के लिए आपकों यह खुला पत्र निखना पड़ रहा है क्योंकि आपके जन प्रतिनिधियों को तो इस विषय पर ना वर्तमान और ना ही भविष्य की चिंता है कि किस तरह मादक पदार्थ तस्करी का खेल ना केवल युवाओं को खोखला कर रहा है बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी मादक पदार्थ तस्करी एक बड़ा खतरा है। ऐसा मैं ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी 2012 में चिंता जाहिर करते हुए बनाई गई अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ तस्करी रोकथाम की नीति में भी उल्लेख किया गया है। हाल ही अफीम खेती के लिए केंद्र सरकार को दिये प्रस्तावों पर आप भी गौर करें कि वे नशे की प्रवृति और तस्करी को बढ़ावा देने वाले नहीं है।

भारत में नवम्बर से प्रारम्भ होने वाली अफीम खेती को लेकर हाल ही हुई बैठक में जन प्रतिनिधियों ने किसानों से प्राप्त प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को दिये जिसमें से कीमत बढ़ाने व डोडा चूरा नीति जैसे प्रमुख मुद्दे गायब है और जो प्रस्ताव दिये गये उनमें आधे से ज्यादा तस्करी को बढ़ावा देने जैसे है।

देश में सबसे ज्यादा अफीम उत्पादन करने वाले राजस्थान के मेवाड़ व मध्यप्रदेश के मालवा अंचल से जुड़े चित्तौड़गढ़ सांसद चंद्रप्रकाश जोशी, मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता और उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने नारकोटिक्स अधिकारियों को साथ लेकर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी से की बैठक में अॅीम किसानों द्वारा प्राप्त प्रस्ताव आगामी अफीम नीति 2024-25 में शामिल करने का आग्रह किया। सांसद जोशी द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया कि किसानों द्वारा प्राप्त बारह प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री चौधरी को दिये गये जिनमें प्रमुख रूप से अब तक के सभी कटे हुए पट्टे देने, मार्फिन घटाने, अन्य गांव में लीज पर पट्टेधारी को खेती की अनुज्ञा देने, बार बार किसानों से दस्तावेज नहीं मांगने जैसे सभी मुद्दे शामिल है जबकि अफीम का खरीदी भाव बढ़ाने और राज्य सरकार व केंद्र सरकार के बीच फंसा डोडा चूरा नष्टीकरण जैसे मुद्दे किसानों की ओर से नहीं दिये गये।

इन सभी बारह प्रस्तावों पर गौर करें तो अधिकांश अफीम तस्करों के हित साधने वाले है। सभी कटे पट्टे पुनः देने की मांग में वे पट्टे भी शामिल है जिन पट्टेधारियों को तस्करी के आरोप में एजेंसियों ने पकड़ा है और बाद में उनके पट्टे समाप्त कर दिये, इसी तरह अफीम किसान नारकोटिक्स को दी जाने वाली अफीम में मिलावट करते हैं जिससे मार्फिन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलने पर होने वाली कार्रवाई से ऐसे किसानों उर्फ तस्करों को बचाने के लिए प्रस्ताव में मार्फिन की मात्रा घटाने की मांग करते हुए इसे चार किलो प्रति हैक्टैयर रखने की बात कही गई है, तस्करी को बढ़ावा देने का एक और प्रस्ताव है जिन किसानों के पास अब अपनी भूमि नहीं है और गत वर्ष सीपीएस लायसेंस दिये गये या जिस गांव में पानी की कमी है वहां के किसानों को अन्य गांव में या अपने ही गांव में लीज भूमि पर अफीम खेती करने का अवसर दिया जाए, इसके साथ ही सबसे बड़ा तस्करों के हित का प्रस्ताव सीपीएस पद्धति को खत्म किया जाए (सीपीएस में बिना चीरा लगाए डंडी सहित डोडा सरकार खरीदती है और तस्करी के लिए कुछ नहीं बचता है) तस्करी का एक और प्रस्ताव दिया गया है जिसमें मांग की गई है कि किसानों से हर वर्ष बार बार दस्तावेज नहीं मांगे जाए।

सबसे बड़ी बात यह है कि सार्वजनिक तौर पर वर्षो से जो वास्तविक अफीम किसान सरकारी खरीद का भाव बढ़ाने की मांग करते रहे हैं उसके लिए इन प्रस्तावों में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है वहीं पिछले पांच वर्षों से अफीम निकालने के बाद बचे डोडा की खरीद बिक्री पर पूर्णतया रोक होने से इसके नष्टीकरण प्रक्रिया पर किसान सहमत नहीं है और लगातार प्रदर्शन होते रहे हैं, इसमें किसानों की मांग है कि नष्टीकरण से पूर्व की खरीद भाव अनुसार उन्हें मुआवजा दिया जाए। रोक से पूर्व डोडा की खरीद बिक्री आबकारी विभाग करता था इसलिए नष्टीकरण का जिम्मा भी संबंधित प्रदेश सरकारों के आबकारी विभाग को दिया गया लेकिन इन पांच वर्षों में जन प्रतिनिधियों ने किसानों के दबाव में कभी नष्टीकरण नहीं होने दिया जबकि प्रतिवर्ष आबकारी विभाग नष्टीकरण आदेश निकालता है, इसी डोडा की खरीद फरोख्तaको अवैध घोषित करते हुए इसके खरीद फरोख्त, भंडारण व परिवहन को तस्करी मानते हुए केंद्र सरकार ने एनडीपीएस एक्ट में शामिल कर लिया है जिससे जो किसान डोडज्ञ चूरा नष्ट नहीं कर तस्करी के लिए निकाल रहे या अपने ठिकानों पर भंडारण किये हुए है उन पर एजेंसियां लगातार कार्रवाई भी कर रही है इसी से बचने के लिए जनप्रतिनिधि भी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करते है लेकिन प्रस्तावों में इस समस्या से निपटने का कोई उल्लेख नहीं किया है। वास्तविकता यह है कि हर साल किसान आदेया आने पर कहता है कि डोडा चूरा तो बरसात में गल गया कहां से लाए और इनके सुर में सुर जन प्रतिनिधि भी मिलाते है जबकि रोजाना जो एजेंसियां क्विंटलों में डोडा चूरा पकड़ रही है वो इन्हीं किसानों द्वारा तस्करी के लिए बेचा हुआ है।

इन प्रस्तावों से साफ है कि जन प्रतिनिधि या तो वोट बैंक के चक्कर में तस्करों के दबाव में है या अफीम व अफीम के सह उत्पादों की तस्करी के नेटवर्क में इनकी भी कहीं ना कहीं कड़ी बनी हुई है। ज्ञात हो कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार नशामुक्त भारत की बात करते हैं और हाल ही लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में पंजाब व हरियाणा की सार्वजनिक सभाओं में इन दोनों प्रदेशों के युवाओं में जबर्दस्त नशा प्रवृति पर चिंता व्यक्त कर चुके है जबकि इन दोनों प्रदेश के नशेड़ियों को अफीम व डोडा चूरा मेवाड़ व मालवा से ही तस्करी के जरिये पहुंचाया जा रहा है।

भुवनेश व्यास, स्वतंत्र अधिमान्य पत्रकार 

चित्तौड़गढ़ राजस्थान

धन्यवाद 

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