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चौथ का बरवाड़ा : अखंड सौभाग्य की कामना लेकर यहां आती हैं महिलाएं…

चौथ का बरवाड़ा : अखंड सौभाग्य की कामना लेकर यहां आती हैं महिलाएं…

– एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है चौथ माता का प्राचीन मंदिर

✍️ जावेद अली 

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी करवा चौथ है… ये विवाहित महिलाओं के लिए महाव्रत की तरह है… माना जाता है कि इस व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है यानी व्रत करने वाली महिला के पति को लंबी उम्र, सौभाग्य, अच्छा स्वास्थ्य मिलता है…। अपने जीवन साथी के सुखद जीवन की कामना से महिलाएं दिनभर निर्जल रहती हैं यानी अन्न के साथ ही पूरे दिन पानी का भी त्याग करती हैं।  इस दिन राजस्थान के चौथ माता मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं, महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना लेकर यहां आती हैं और चौथ माता के दर्शन करती हैं…। चौथ माता का ये मंदिर राजस्थान में सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा में है। इस मंदिर को 1451 में भीम सिंह नाम के शासक ने बनवाया था। ये मंदिर अरावली पर्वतमाला की श्रृंखला की चोटी पर बना हुआ है। इस पहाड़ी की ऊंचाई करीब एक हजार फीट है। मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है।

चौथ माता के मंदिर में करवा चौथ पर महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचती हैं और देवी से अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। नवरात्रि में भी देवी के दर्शनों के लिए हजारों भक्त रोज यहां आते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

ये है मंदिर से जुड़ी लोक कथा…

यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार राजा भीम सिंह को चौथ माता ने स्वप्न में दर्शन दिए थे और इस पहाड़ी पर मंदिर बनवाने के लिए कहा था। माना जाता है कि राजा भीम सिंह एक बार शिकार पर गए तो रास्ता भटक गए थे।

रास्ता खोजते-खोजते रात हो गई, राजा को कहीं पानी भी दिखाई नहीं दिया। प्यास की वजह से राजा बेहोश हो गए। तभी जंगल में बारिश होने लगी। बारिश की वजह से राजा को होश आ गया और उसने वहीं पानी पीया।

पानी पीने के बाद राजा को वहां एक छोटी कन्या दिखाई दी। वह कन्या देवी चौथ माता ही थीं। जब राजा ने उस कन्या से उसके बारे में पूछा तो कन्या अपनी असली स्वरूप में आ गईं।

राजा ने देवी को प्रणाम किया और प्रार्थना की थी कि अब आप मेरे ही राज्य में रहें। देवी ने राजा की ये प्रार्थना स्वीकार कर ली। इसके बाद राजा ने यहां देवी चौथ माता का मंदिर बनवाया।

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