सनातन धर्म और विश्व कल्याण हेतु मौनी बाबा का राजसूय महायज्ञ!
बलिया:सरयू की पावन तट डूहा में 12 वर्षो तक “मौन साधक बनें रहें महर्षि स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी!
♦️ भारत टाइम्स ♦️
(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
बलिया। जिले के सरयू नदी के पावन तट डूहा बिहरा स्थित श्री वनखण्डीनाथ (श्री नागेश्वरनाथ महादेव)आश्रम मठ में आगामी 11 दिसम्बर 2024 से 19 जनवरी 2025 तक 108 कुण्डीय अद्वैत श्री शिवशक्ति कोटि होमात्मक राजसूय महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। इस अद्वितीय महायज्ञ का नेतृत्व स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी, जो बारह वर्षों तक मौन धारण और अद्वितीय मौन साधक रहे हैं। उनका उद्देश्य दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाना और विश्व कल्याण की दिशा में धर्म का पुनरुद्धार करना है।
महर्षि स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी (मौनी बाबा), जिन्होंने अपने मौनव्रत और गहन साधना से आध्यात्मिक जगत में ख्याति प्राप्त की है, इस महायज्ञ के प्रेरक और प्रमुख आयोजक हैं। उनकी अगुवाई में यह महायज्ञ त्रेतायुग और द्वापरयुग के राजसूय यज्ञों की पवित्र परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, जो धर्म और समाज के कल्याण के लिए किया जा रहा है।
महायज्ञ का शुभारंभ 11 दिसम्बर को भव्य कलश यात्रा के साथ होगा। इसके बाद 12 दिसम्बर को मण्डप प्रवेश और 13 दिसम्बर को अरणी मन्थन द्वारा अग्नि प्राकट्य की विधि सम्पन्न होगी। इस दौरान प्रतिदिन वैदिक मंत्रों के साथ पूजा, हवन और महाआरती की जाएगी। 19 जनवरी 2025 को यज्ञ की पूर्णाहुति और महाप्रसाद वितरण होगा।
महायज्ञ के विभिन्न कार्यक्रमों में देश के कई प्रसिद्ध संत, जैसे कि श्री अनिरुद्धाचार्य जी, पं. धीरेन्द्र शास्त्री जी, महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद जी महाराज, आचार्य शान्तनु जी महाराज और अन्य विद्वानों का सान्निध्य प्राप्त होगा। इनके प्रवचन और उपदेश भक्तों के लिए मार्गदर्शक होंगे
यज्ञ के यज्ञाचार्य पं. रेवती रमण तिवारी और यज्ञाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र सिंह इस आयोजन की विधियों का संचालन करेंगे, जबकि श्रीमती सुथा पाण्डेय उपाध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी के आध्यात्मिक नेतृत्व में आयोजित यह महायज्ञ सामाजिक, आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके मौन व्रत और साधना की शक्ति इस महायज्ञ को विशेष बनाती है। क्षेत्रवासियों व विश्व समुदाय के लिए यह आयोजन धर्म और विश्व कल्याण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
यह आयोजन न केवल धर्म और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भक्तों के जीवन में समृद्धि और शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है।