🙏✍️”अभी मैं बच्ची हूँ”✍️🙏
अभी मैं बच्ची हूँ, उम्र की कच्ची हूँ,
हूँ पापा की परी, दिल की सच्ची हूँ।
मालुम नहीं मुझे, बच्चा-बच्ची का भेद,
न ही हैं मुझे, बच्ची होने का कोई खेद।
मैं भी स्वच्छंद विचरण करूं, जमाने में,
वादा है पीछे नहीं रहूंगी, नेकी कमाने में।
कष्ट में भी यही कहूंगी, पापा मैं अच्छी हूं।
अभी मैं बच्ची ……..दिल की सच्ची हूं।
पराया धन कहकर के, करो ना मेरा उपहास,
जब बेटा तुम्हें सताएगा, हम ही आएंगे पास।
हमने अपनी ताकत, दुनिया को दिखलाई है,
वक़्त जरूरत हमने, दुश्मन को धूल चटाई हैं।
कोई समझे या न समझे, माँ जाने मैं सच्ची हूँ।
अभी मैं बच्ची………. दिल की सच्ची हूं।
मैं मान हूँ, सम्मान हूँ और उन्नत स्वाभिमान हूँ,
मैं आन हूँ, बान हूँ और आत्मिक अभिमान हूँ।
बेटी-पत्नी-माँ-दादी का, मैं हर फ़र्ज निभाऊंगी,
पापा मैं मिट जाऊंगी, पर तुम्हारा मान बढाऊंगी।
दुनियाई दस्तूर पता नही, मैं उम्र की कच्ची हूँ।
अभी मैं बच्ची………….दिल की सच्ची हूँ।
मेरे भी कुछ सपने हैं, मग़र कंटक मेरे अपने हैं,
अब छोड़ो जाने दो, कुछ राज दिल में दफने हैं।
निवेदन हैं बस इतना, तुम बात मेरी एक मान लो,
मैं भी जीना चाहती हूँ, मुझे हौसला प्रोत्साहन दो।
मैं तुम्हें नहीं झुकने दूंगी, यह कहती बात सच्ची हूँ,
अभी मैं बच्ची………..दिल की सच्ची हूँ।
🙏✍️मुकेश आर चौहान✍️🙏राजस्थान पुलिस