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आयोग के फैसले के बाद भी छात्रों का आंदोलन जारी, RO-ARO परीक्षा पर अड़े!”

आयोग के फैसले के बाद भी छात्रों का आंदोलन जारी, RO-ARO परीक्षा पर अड़े!”

♦️ भारत टाइम्स न्यूज ♦️

शीतल निर्भीक/रंजना वर्मा ब्यूरो 

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के झुकने के बावजूद प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आयोग द्वारा पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा को एक दिन और एक शिफ्ट में कराने की घोषणा के बावजूद, छात्र आरओ-एआरओ (RO-ARO) परीक्षा के लिए भी इसी तरह का आश्वासन मांग रहे हैं। आयोग के दो नंबर गेट के सामने छात्र डटे हुए हैं और हटने को तैयार नहीं।

छात्रों की मांग – एक दिन, एक शिफ्ट में हो RO-ARO परीक्षा

प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि अगर पीसीएस परीक्षा एक शिफ्ट में हो सकती है, तो RO-ARO परीक्षा क्यों नहीं? छात्रों ने मांग की है कि आयोग RO-ARO परीक्षा को भी वन डे वन शिफ्ट में कराने का स्पष्ट, लिखित आश्वासन दे। छात्रों का कहना है कि आयोग द्वारा केवल उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का आश्वासन उन्हें संतुष्ट नहीं करता, क्योंकि वे ठोस फैसले की मांग कर रहे हैं।

RO-ARO परीक्षा के लिए केंद्रों की कमी

अब सवाल यह है कि RO-ARO परीक्षा को एक दिन में आयोजित करना इतना मुश्किल क्यों है? दरअसल, RO-ARO परीक्षा में 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी पंजीकृत हैं, जो पीसीएस परीक्षा से कहीं ज्यादा हैं। शासनादेश के अनुसार, आयोग प्राइवेट या अधोमानक केंद्रों का इस्तेमाल नहीं कर सकता, और केंद्रों की कमी के कारण ही एक से अधिक दिन में परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया था।

केंद्रों की खोज – मुश्किलें बरकरार

आयोग ने परीक्षा केंद्रों के लिए कई विकल्प तलाशे, जैसे कि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेजों को शामिल करने का प्रयास किया गया। परंतु, इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा केंद्रों की उपलब्धता एक चुनौती बनी रही। कलेक्ट्रेट या कोषागार से 20 किलोमीटर की परिधि में केंद्रों के विस्तार की कोशिशें भी कारगर साबित नहीं हुईं।

 

प्रसामान्यीकरण पर न्यायालय का समर्थन

 

आयोग का कहना है कि परीक्षा को कई दिनों में आयोजित करना और प्रसामान्यीकरण (नॉर्मलाइजेशन) अपनाना एक आवश्यक प्रक्रिया है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी उपयुक्त माना है। सात जनवरी 2024 के उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, प्रसामान्यीकरण का प्रयोग न सिर्फ उचित है, बल्कि कई बार आवश्यक भी होता है, विशेष रूप से बड़े स्तर पर परीक्षा आयोजित करने में।

 

छात्रों का सवाल – RO-ARO परीक्षा का नोटिस कब?

 

प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि जब पीसीएस परीक्षा के लिए एक दिन का नोटिस जारी हो सकता है, तो RO-ARO परीक्षा के लिए क्यों नहीं? छात्र आयोग से लिखित रूप में नोटिस जारी करने की मांग कर रहे हैं। छात्रों का यह भी कहना है कि इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और वे इस पर अडिग हैं।

अधिकारी – छात्र वार्ता में गतिरोध

आयोग के सचिव का कहना है कि RO-ARO परीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जा रही है, जिसकी रिपोर्ट पर फैसला लिया जाएगा। लेकिन, छात्रों का कहना है कि वे कमेटी के नाम पर बहलाए नहीं जा सकते। उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक RO-ARO परीक्षा को लेकर स्पष्ट निर्णय और लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता।

पंजीकृत छात्रों की संख्या – एक बड़ी चुनौती

आंकड़ों की बात करें तो RO/ARO परीक्षा में 10 लाख से ज्यादा छात्र पंजीकृत हैं, जबकि पीसीएस में यह संख्या लगभग 5.7 लाख है। परीक्षा के लिए आवश्यक केंद्रों की कमी और सरकार के आदेशों के कारण, आयोग के लिए यह एक चुनौती बन गया है कि सभी परीक्षाएं एक दिन में आयोजित हो सकें।

फिलहाल – आंदोलन जारी

अंततः, यूपीपीएससी के सामने यह सवाल खड़ा है कि क्या RO-ARO परीक्षा को एक ही दिन में कराने का रास्ता निकलेगा? दूसरी ओर, छात्रों का आंदोलन भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। क्या आयोग छात्रों की मांग मानकर RO-ARO परीक्षा का आयोजन एक दिन और एक शिफ्ट में करने का फैसला करेगा, या फिर यह आंदोलन और भी बड़ा रूप लेगा? इस मुद्दे पर नजर रखिए, क्योंकि आयोग के इस निर्णय का असर लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य पर पड़ेगा।

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