“राणा पुंजा को भील बताने पर भड़के राजपूत, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट रीना सिंह ने भेजा सांसद-विधायक को नोटिस”
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शीतल निर्भीक ब्यूरो रंजना वर्मा ब्यूरो
नई दिल्ली।देश की राजस्थान के प्रसिद्ध योद्धा राणा पुंजा को भील समुदाय का बताने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ एडवोकेट रीना एन सिंह ने भाजपा सांसद मन्ना लाल रावत (उदयपुर), राजकुमार रोत (डूंगरपुर-बांसवाड़ा), और कांग्रेस विधायक हरीश (बाड़मेर) को कानूनी नोटिस भेजा है। यह नोटिस उदयपुर के पानरवा के पूर्व जागीरदार राणा मनोहर सिंह सोलंकी की ओर से भेजा गया है, जो खुद को राणा पुंजा का 16वां वंशज बताते हैं।
*विवाद का कारण*
दरअसल, इन जनप्रतिनिधियों ने सार्वजनिक मंचों पर राणा पुंजा को भील समुदाय से संबंधित बताने का बयान दिया, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया। राणा मनोहर सिंह सोलंकी का कहना है कि उनके पास अपने राजपूत वंश का ऐतिहासिक प्रमाण है, जिसमें राणा पुंजा को सोलंकी राजपूत और एक योद्धा के रूप में दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को गलत ढंग से पेश करते हैं, बल्कि राजपूत समाज की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं।
*रीना सिंह का कड़ा रुख*
एडवोकेट रीना सिंह ने नोटिस में यह साफ किया है कि ऐसे बयान से राणा पुंजा की प्रतिष्ठा और वंशावली पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने तीनों जनप्रतिनिधियों से अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और बयान को वापस लेने की मांग की है। रीना सिंह ने स्पष्ट किया कि माफी न मांगने की स्थिति में वे कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगी।
*राजपूत समाज की नाराजगी*
इस मुद्दे पर राजपूत समाज में भी व्यापक रोष है। राजपूत समाज के लोगों का मानना है कि राणा पुंजा जैसे महान योद्धा और राजपूत समाज के प्रतीक को भील बताने से उनकी गौरवशाली पहचान पर आघात पहुंचता है। राणा मनोहर सिंह सोलंकी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि राणा पुंजा, महाराणा प्रताप के निष्ठावान साथी और महान योद्धा थे, जिन्होंने राजपूत समाज का गौरव बढ़ाया।
*वंशीय प्रमाण और परिवार का इतिहास*
नोटिस में रीना सिंह ने राणा मनोहर सिंह के पारिवारिक इतिहास का हवाला देते हुए बताया कि उनके पिता, राणा मोहब्बत सिंह सोलंकी, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रथम श्रेणी की न्यायिक शक्तियों से सुसज्जित थे। सोलंकी परिवार का कहना है कि उनके पास पीढ़ी दर पीढ़ी अपने वंश का प्रमाण है, जो राणा पुंजा को राजपूत योद्धा और गौरवशाली इतिहास का हिस्सा साबित करता है।
*सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर*
राणा पुंजा को भील कहे जाने वाले बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। राजपूत समाज से जुड़े लोग इन बयानों की निंदा कर रहे हैं और इसे समाज की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला मान रहे हैं। कई संगठनों ने भी इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
*अंतिम चेतावनी*
एडवोकेट रीना एन सिंह ने जनप्रतिनिधियों को चेतावनी दी है कि यदि वे सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते और बयान वापस नहीं लेते हैं, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। राजपूत समाज का मानना है कि ऐसे बयानों से न केवल एक महान योद्धा का अपमान होता है, बल्कि पूरे समाज का भी अपमान होता है।
*राजपूत समाज की मांग*
राजपूत समाज के वरिष्ठ जनों का कहना है कि राणा पुंजा का नाम गर्व और साहस का प्रतीक है। समाज चाहता है कि जनप्रतिनिधि अपने बयान को वापस लें और ऐसी गलतियों से बचें, जो समाज की ऐतिहासिक धरोहर को ठेस पहुंचा सकती हैं।