करवां चौथ प्रेम,आस्था और अखंड सौभाग्य का प्रतीक है- शीला मिश्रा प्रिंसिपल सेंट जेवियर्स
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(शीतल निर्भीक/रंजना वर्मा ब्यूरो)
देश-दुनिया में करवां चौथ भारतीय महिलाओं के लिए सिर्फ एक व्रत नहीं,बल्कि प्रेम,समर्पण और अखंड सौभाग्य की प्रतीक है। सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ उपवास रखती हैं। शीला मिश्रा, प्रिंसिपल सेंट जेवियर्स, पिपरौली बिल्थरारोड बलिया यूपी ने इस पर्व के धार्मिक और सामाजिक महत्व को विस्तार से भारत टाइम्स को बताया।
*सुहागिनों के लिए विशेष पर्व*
हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व महिलाओं के जीवन में विशेष महत्व रखता है। सेंट जेवियर्स स्कूल की प्रिंसिपल शीला मिश्रा बताती हैं, “करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो सुहागिन महिलाओं के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।”
*सरगी से होती है व्रत की शुरुआत*
करवा चौथ की शुरुआत सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी से होती है। इसमें पौष्टिक आहार होते हैं, जो महिलाओं को दिनभर व्रत रखने की शक्ति प्रदान करते हैं। मिश्रा जी के अनुसार, “सरगी का सेवन एक भावनात्मक पहलू भी है, जो सास-बहू के रिश्ते को और गहरा बनाता है।”
*सोलह श्रृंगार और पूजा विधि*
सोलह श्रृंगार, जिसे सुहागिनों का प्रतीक माना जाता है, करवा चौथ की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान शिव, माता पार्वती, और करवा माता की पूजा करती हैं। श्रीमती मिश्रा ने कहा, “सोलह श्रृंगार भारतीय नारीत्व का प्रतीक है, जो सुहागिन महिलाओं की सौंदर्यता और उनके समर्पण को दर्शाता है।”
*चंद्र दर्शन और व्रत खोलने की परंपरा*
चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाएं व्रत तोड़ती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से पानी पीने की परंपरा बेहद खास मानी जाती है। शीला मिश्रा जी कहती हैं, “इस पर्व का समापन प्रेम और विश्वास के साथ होता है, जो पति-पत्नी के रिश्ते को और गहरा करता है।”
*समाज में करवा चौथ का महत्व*
श्रीमती शीला मिश्रा ने करवां चौथ के सामाजिक महत्व पर जोर दिया। यह पर्व न केवल पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि परिवार और समाज में भी सौहार्द का संदेश देता है। “यह पर्व हमें परिवार के महत्व को समझने का मौका देता है, जहाँ हर सदस्य इस खुशी में शामिल होता है,” उन्होंने कहा।
*इतिहास और सांस्कृतिक पक्ष*
करवा चौथ का ऐतिहासिक महत्व भी उतना ही गहरा है जितना धार्मिक। प्रिंसिपल शीला मिश्रा जी बताती हैं कि प्राचीन काल में यह व्रत युद्ध के समय महिलाएं अपने पति की सुरक्षा के लिए रखती थीं।उन्होंने कहा। “करवा चौथ भारतीय नारीत्व और वैवाहिक जीवन की दृढ़ता का प्रतीक है,”
सेंट जेवियर्स प्रिंसिपल शीला मिश्रा ने इस पर्व को एक संदेश के रूप में प्रस्तुत किया कि करवा चौथ न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह जीवन में प्रेम, आस्था और सौभाग्य की कामना का प्रतीक है। “करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए उनके समर्पण, प्रेम और आस्था का पर्व है, जो उनके रिश्तों को और भी मजबूत बनाता है,” उन्होंने कहा।
इस तरह करवा चौथ एक पर्व नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए एक ऐसा अवसर है जो उन्हें अपने पति के प्रति अपनी आस्था और प्रेम को और गहरा करने का मौका देता है।