Site icon Bharat Times News

|| मेरी माँ ||

मैं सुबह फोन ना करूँ तो तुरंत करती है फोन मेरी माँ

मेरे सुख में न हो बाधा सुख दुख सह लेती है मेरी माँ!

 

सुबह से शाम तक एक ही चिंता कैसी होगी मेरी बेटी

खुद अपनी तकलीफ नहीं बताती और कहती खाना खाया ना बेटी

 

जैसे खिल जाते है फूल गुलशन में बहार के आने से,

वैसे खिल जाती हूँ मैं, जब भी माँ के पास आने से!

 

जब जिंदगी रूलाएं तो वो गले लगा लेती है,

माँ कुछ ऐसे भी हमको संभाल लेती है!

 

मेरी माँ के कारण ये जीवन मैंने पाया है,

जब मैं वापस अपने घर लौटती हूँ तो माँ कहती है घर की लक्ष्मी को खाली हाथ विदा नहीं करते है

और कुछ पैसे हाथ में पकड़ा देती है!

 

अब माँ को कैसे समजाऊँ, मानती ही नहीं,

माँ की दुआओं से बढ़कर कोई सहारा नहीं!

 

मां में ही अंत और अनंत दोनों का समावेश है,

जिंदगी जीने के लिए माँ ही तो एक मात्र सहारा है!

 

मेरे पास कोई शब्द नहीं है कहने के लिए,

माँ के लिए ऐसा कोई दिन नहीं है मातृ दिवस मनाने के लिए!

 

माँ की ममता में खो जाती, निकल न पाती मैं ममता से,

इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यारा कोई नहीं मेरी माँ से!

 

उषा पटेल

दुर्ग, छत्तीसगढ़

 

 

Exit mobile version