
हृदय सम्राट की उपाधि से अलंकृत हुए नगर के गौरव
रहीम शेरानी झाबुआ जिले के राणापुर की धरा पर जन्मे पले,शिक्षित होकर 55 वर्ष पूर्व आचार्य श्रीमद विजय जयंतसेन सुरीश्वरजी (तत्कालीन मुनि जयंत विजय मधुकर) से दीक्षित होकर बंसीलाल से नित्यानंद विजय के नाम से प्रसिद्ध ओर 2017 में आचार्य पद से विभूषित श्री मद विजय नित्यसेन सुरीश्वरजी को 2017 में आचार्य पद के पश्चात उनके धार्मिक अनुष्ठानों को देखते हुए तथा पालीताणा में उपधान तथा दीक्षा के भव्यातीभव्य कार्यों की सफल निश्रा ओर सानिध्यता के कारण हृदय सम्राट की उपाधि के विभूषित होने के जैसे ही समाचार वायरल हुए नगर जनों में खुशी की तरंगे दौड़ गई। तरुण परिषद के राष्ट्रीय सदस्य अवि सकलेचा ने बताया कि राणापुर के दसेड़ा चंपालाल के यहां श्रीमती कंचनदेवी की कोख से एक बालक ने दिनांक 18 अप्रैल 1949 को जन्म लिया जिसका नाम बंशीलाल रखा गया। शिक्षा में मध्यम रुचि के कारण घर के व्यवसाय में ही सलग्न रहे। 1967 में मुनि जयंतविजय मधुकर का चातुर्मास राणापुर में चल रहा था। मुनि श्री के प्रवचन ओर उनकी क्रियाओं से बंशी का मन जुड़ने लगा और संयम पथ पर चलने की जिज्ञासा ने घर कर लिया। दिनांक 26 अप्रैल 1967 को मुनि जयंत विजय जी ने बंशी को दीक्षित कर प्रथम शिष्य मुनि नित्यानंद विजय के नाम से घोषित किया। अवि ने आगे बताते हुए कहा कि जयंत विजय जी ने अपना पहला स्वतंत्र चातुर्मास राणापुर में किया था। उसी चातुर्मास में आपने हिंदी,अंग्रेजी ओर संस्कृत की पढ़ाई की थी।लेखन का कार्य भी राणापुर से शुरू करते हुए गौतम स्वामी जी की आरती ओर नमस्कार महामंत्र की रचना कर सिद्धि प्रदायक नवकार की नव दिवसीय आराधना की नींव रखी।नित्यानंद विजय अपने गुरु के साथ परछाई की तरह रहे।ओर सैकड़ों मुमुक्षुओं को दीक्षा देकर संयम की ओर अग्रसर किया।50 वर्ष तक अपने गुरु की सेवा में तत्पर रहते हुए देश के 14 राज्यों का विचरण करते हुए लाखों किलोमीटर चलने के बाद श्री भांडवपुर तीर्थ पर अचानक गुरु के महाप्रयाण के बाद 19 अप्रैल 2017 को नित्यानंद विजय को श्री संघ की सहमती से एक भव्य समारोह में आचार्य पद से विभूषित किया गया। अपने आचार्य पद की महत्ता बनाए रखने के लिए सैकड़ों दीक्षा,संघयात्रा,प्रतिष्ठा, उप धान और धार्मिक अनुष्ठानों को कर रहे हे। इसी कड़ी में शाश्वत तीर्थ पालीताणा में 2200 आराधकों के उपधान ओर दीक्षा के भव्य अनुष्ठान के बीच सुविशाल गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय नित्यसेन सूरी को *हृदय सम्राट* की उपाधि से अलंकृत किया ।
झाबुआ जिले के सकल जैन समाज ओर अन्य विप्र जनों ने मंगल कामना प्रेषित की। मनोहरलाल भंडारी,मुकेश नाकोड़ा,अरविंद लोढ़ा अनिल रूनवाल झाबुआ, सुरेश समीर,अनिल सेठ, अवि सकलेचा,चंद्रसेन कटारिया ,राजेंद्र सियाल, तेजमल सकलेचा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया,विधायक डॉ विक्रांत भूरिया, प्रकाश रांका,आदि ने वंदना करते हुए मंगल कामना प्रेषित की हे।