दुख और सुख भीतरी अवस्था के अधीन हैं ..
मारवाड़ जंक्शन( अजयसिंह तोमर):नगर के संत निरंकारी चौधरी छात्रावास में निरंकारी सत्संग का आयोजन हुआ, जिसमें बाड़मेर से आए ज्ञान प्रचारक महात्मा शांतिलाल ने अपने विचार रखे।
सत्संग में कहा कि सुख या दुख बाहरी चीजों पर निर्भर नहीं करते, यह तो वास्तव में भीतरी अवस्था के अधीन हैं। परमात्मा आनंद स्वरूप है। भक्ति के आनंद की अवस्था का उसकी आर्थिक स्थिति या सांसारिक स्थिति की अवस्था से कोई लेना-देना नहीं है। भक्ति का इस सहज अवस्था में पहुंचना तभी मुमकिन हो पाता है जब वह पूरी तरह से निरंकार को समर्पित हों। उन्होंने कहा हमें हर समय आत्मा परमात्मा के एक में होने की अवस्था प्राप्त करनी चाहिए, शरीर में सांसें चल रही हैं तो भी परमात्मा से मिले हो और जब परमात्मा ने सांसें बंद कर दी या शरीर से आत्मा अलग हो गई, तब भी इस आत्मा को ब्रह्म में लीन होकर ब्रह्मलीन अवस्था प्राप्त करनी है। जीते जी भी ब्रह्मलीन और शरीर छोड़ने के बाद भी ब्रहमलीन अवस्था में रहना ही आत्मा का परम लक्ष्य है।
नगर की संयोजक बहन कांता ने बताया कि सुख-दुख बाहरी चीजों पर निर्भर नहीं करते, बल्कि यह आंतरिक अवस्था पर आधारित है !भक्ति का आनंद आर्थिक या सांसारिक स्थिति से नहीं…….उन्होंने आगे कहा कि सब कुछ ईश्वर की कृपा से ही हो रहा है, क्योंकि ईश्वर की इच्छा ही सर्वोपरि होती है। इसीलिए हर परिस्थिति में ईश्वर पर विश्वास और शुकराना बना रहे। हमारे जीवन में आने वाले कष्ट हमें मजबूत करते हैं।मंच संचालक मीठालाल द्वारा किया गया मारवाड़ जंक्शन संयोजक बहन कांता जोधपुर से बहन भगवती वह आसपास के गांव से पधारे साथ संगत
वह सेवादल भाई बहन मौजूद थे।