हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने किया मोहन भागवत के बयान का समर्थन
समयानुकूल और प्रेरणादायक बताया
(हरिप्रसाद शर्मा) अजमेर/ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के गद्दीनशीन और सूफी फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने भारत की अनूठी विविधता और सह-अस्तित्व की परंपरा को सराहा। उन्होंने कहा कि यह देश सदियों से विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं के साथ सामंजस्य का प्रतीक रहा है। हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा समावेशिता और मंदिर-मस्जिद विवादों को बढ़ावा न देने के संदेश को उन्होंने समयानुकूल और प्रेरणादायक बताया।
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि मोहन भागवत का यह कहना कि “भारत को दुनिया को दिखाना होगा कि साथ कैसे रहा जा सकता है,” भारतीय संस्कृति के वसुधैव कुटुंबकम सिद्धांत को फिर से स्थापित करता है। राम मंदिर को हिंदुओं के लिए एकता का प्रतीक मानते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि अन्य विवादों का राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल अनुचित है। यह बयान एक जिम्मेदार और परिपक्व नेतृत्व की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर चिंता
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने हाल ही में अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर फैले झूठे विवाद पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ कट्टरवादी समूहों और व्यक्तियों द्वारा इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल की पवित्रता को बाधित करने के प्रयास न केवल इसके महत्व को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि भारत की एकता और विविधता की छवि को भी धूमिल करते हैं।
उन्होंने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह समावेशिता और करुणा का प्रतीक है, जो हर धर्म और जाति के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। ऐसे झूठे विवाद शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाते हैं।
‘विश्वगुरु भारत’ का सपना
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि भागवत का ‘विश्वगुरु भारत’ का सपना तभी साकार होगा, जब हम विविधता में एकता को अपनाएं। हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ की शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि सभी सृष्टि एक ही दिव्य स्रोत से उत्पन्न होती है। इस एकता को पहचानने से समाज में विभाजनकारी ताकतें कमजोर होंगी।
व्यावहारिक दृष्टिकोण से उन्होंने कहा कि एकता सामाजिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देती है। भारत को चाहिए कि अपने पवित्र स्थलों और आध्यात्मिक परंपराओं की पवित्रता बनाए रखे, संवाद और समझ को प्रोत्साहित करे, और शिक्षा प्रणाली में सह-अस्तित्व के संदेश को शामिल करे। संविधान में निहित समानता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को दृढ़ता से लागू करते हुए, भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ सकता है।