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उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंदिरों की ज्ञानकुंज में देखने को मिला ऐतिहासिक बाल दिवस मेला

यूपी की बलिया में एक विद्यालय ऐसा भी।

ज्ञानकुंज में दिखा ददरी मेले जैसा रंग,उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंदिरों की ज्ञानकुंज में देखने को मिला ऐतिहासिक बाल दिवस मेला

♦️ भारत टाइम्स न्यूज ♦️

शीतल निर्भीक/रंजना वर्मा ब्यूरो 

लखनऊ।उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में शिक्षा के क्षेत्र में प्रसिद्ध और विख्यात बलिया जिले की बंशीबाजार स्थित ज्ञान कुंज एकेडमी ने आज गुरूवार को बाल दिवस पर एक अनोखा मेला आयोजित कर बच्चों की प्रतिभा को मंच दिया। इस मेले का दृश्य बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेले की भांति सजीव था, जहां विज्ञान, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला।

इस भव्य सामारोह का शुभारंभ विद्यालय के अध्यक्ष ज्योति स्वरुप पाण्डेय ने फीता काटकर किया। विद्यालय के प्रबन्धक डॉ. देवेन्द्र सिंह ने मशहूर कवि सलमान घोसवी का स्वागत किया, और कार्यक्रम में बच्चों के जज्बे की सराहना की। उन्होंने कहा “यह आयोजन बच्चों के सर्वांगीण विकास का उदाहरण है, जो उनकी पढ़ाई के साथ अन्य क्षेत्रों में भी कुशलता को दर्शाता है।”

इस ऐतिहासिक बाल मेले में छात्रों ने 100 से अधिक स्टॉल लगाए, जिनमें हस्तशिल्प कला, विज्ञान प्रदर्शनी और खेलकूद खास आकर्षण बने रहे। विज्ञान प्रदर्शनी में बच्चों ने रोबोटिक्स, सौर ऊर्जा, रासायनिक प्रतिक्रियाओं, और जल संरक्षण जैसे विषयों पर अपने प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए, जिन्हें देख सभी उपस्थित लोग हैरत में पड़ गए।

ज्ञान कुंज के इस मेले में मुख्य अतिथि ने बच्चों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प की प्रशंसा की और कहा कि यह मेले जैसा आयोजन बच्चों में रचनात्मकता और आत्मविश्वास को बढ़ाने का सशक्त माध्यम है। विद्यालय के प्रबन्धक डॉ. देवेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

ज्ञानकुंज एकेडमी के प्रधानाचार्या श्रीमती सुधा पाण्डेय ने बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उनके प्रयासों की सराहना की। उपप्रधानाचार्या श्रीमती शीला सिंह ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। विज्ञान वर्ग के अध्यापकों लक्ष्मण चौहान, अमजद अली, श्याम सुन्दर, और प्रियंका त्रिपाठी के सहयोग से यह कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।

ज्ञानकुंज एकेडमी के इस बाल मेले और विज्ञान प्रदर्शनी ने बच्चों की प्रतिभा को निखारते हुए शिक्षा के क्षेत्र में नया मानक स्थापित किया। पूरे क्षेत्र में यह कार्यक्रम चर्चा का विषय बना और सभी ने इसे बच्चों के उज्जवल भविष्य की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना।

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