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खुखुन्दू में अबला का दर्द,पुलिस ने कहा-कोर्ट का आदेश नहीं मानते हम”

“न्याय की फसल कट गई साहब!

खुखुन्दू में अबला का दर्द,पुलिस ने कहा-कोर्ट का आदेश नहीं मानते हम”

♦️ भारत टाइम्स न्यूज ♦️

शीतल निर्भीक/रंजना वर्मा ब्यूरो 

लखनऊ।उत्तर-प्रदेश के देवरिया जिले के खुखुन्दू थाना क्षेत्र के कम्हरिया गांव की रहने वाली गीता देवी आज अपने ही खेत में कट चुकी अपनी मेहनत की फसल को देख बेबस खड़ी हैं। उनका दर्द सिर्फ खेत से फसल कटने का नहीं, बल्कि अपने अधिकारों और न्याय की फसल कट जाने का है। गीता का आरोप है कि उसके पति ब्रम्हानन्द ने बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर ली है। अपने तीन बच्चों के साथ संघर्ष करते हुए गीता ने कोर्ट के आदेश पर मिले 30 कट्ठा खेत में धान की फसल लगाई थी, लेकिन उसे काटने नहीं दिया जा रहा है।

गीता का कहना है कि जब भी वह खेत में फसल काटने जाती है, तो उसके पति, देवर और ससुर लाठी-डंडे लेकर पहुंच जाते हैं और उसे धमकाकर भगा देते हैं। गीता ने थानाध्यक्ष खुखुन्दू द्विग्विजय सिंह से शिकायत की, लेकिन पुलिस से न्याय की उम्मीद टूट गई जब उसे थाने पर अपमानजनक शब्दों का सामना करना पड़ा। थानाध्यक्ष ने, गीता के अनुसार, साफ कह दिया कि “कोर्ट का आदेश उनके लिए कोई मायने नहीं रखता।”

गीता ने अपनी समस्या स्थानीय मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम तक पहुंचाई, परंतु उनके आदेश को भी अनसुना कर दिया गया। इसी कड़ी में, गीता ने जनता दरबार में जाकर जिलाधिकारी देवरिया से भी न्याय की गुहार लगाई। डीएम ने कार्रवाई का आदेश दिया, लेकिन थाने के अधिकारी पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ। गीता का कहना है कि उससे 40,000 रुपये की रिश्वत मांगी गई और जब वह यह रकम नहीं दे पाई, तो प्रतिपक्षी ने उसकी फसल काट ली।

12 नवंबर को गीता ने अपने खेत में जाकर देखा तो वहां उसकी मेहनत की फसल को काटा जा चुका था। इस पूरी घटना से खुखुन्दू पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। गीता देवी अब मुख्यमंत्री से न्याय की उम्मीद लगा रही हैं और मांग कर रही हैं कि दोषी थानाध्यक्ष और हल्का दरोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

गीता की यह व्यथा बताती है कि कैसे एक अबला महिला को न्याय पाने के लिए अपने ही खेत में संघर्ष करना पड़ रहा है और कैसे पुलिस प्रशासन की नाफरमानी से उसकी न्याय की उम्मीदें टूट रही हैं।

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