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भूपाल नोबल्स कॉलेज ऑफ फार्मेसी में केरियर गाइडेंस पर मीटकॉन द्वारा सेमिनार का आयोजन

भूपाल नोबल्स कॉलेज ऑफ फार्मेसी में केरियर गाइडेंस पर मीटकॉन द्वारा सेमिनार का आयोजन

उदयपुर, 9 अक्टूबर: भूपाल नोबल्स कॉलेज ऑफ फार्मेसी द्वारा बीएन सेमिनार हॉल में मीटकॉन बायोफार्मा के तत्वावधान में केरियर गाइडेंस और क्लिनिकल रिसर्च में केरियर पाथ पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। यह सेमिनार सभी कोर्सों के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें क्लिनिकल रिसर्च, फार्माकोविजिलेंस, क्लिनिकल डेटा मैनेजमेंट, क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, और मेडिकल राइटिंग जैसे विभिन्न विषयों पर जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री स्वप्निल बलाल थे, जिन्होंने विद्यार्थियों को इन क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और जानकारियां साझा कीं। साथ ही, यूनिवर्सिटी प्लेसमेंट कमेटी के डायरेक्टर डॉ. रजनी अरोड़ा, फार्मेसी प्लेसमेंट इंचार्ज डॉ. के. एस. राठौड़, कोषाध्यक्ष डॉ. रविंद्र कांबले, और बीएन फार्मा प्लेसमेंट सचिव डॉ.भक्तराज सिंह चौहान भी इस सेमिनार में उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त, कॉलेज के अन्य प्रमुख शिक्षकगण डॉ. जे. एस. वाघेला, डॉ जयश्री सिंह, डॉ. हितेश कोठारी, डॉ. हर्षिता कलाल, डॉ. वंशिका व्यास, डॉ. ऋषि महेश्वरी, डॉ.दृष्टि चौहान, डॉ माधुरीऔर श्री आदित्य पंत भी इस आयोजन में सम्मिलित हुए। इस सेमिनार का उद्देश्य विद्यार्थियों को क्लिनिकल रिसर्च के क्षेत्र में केरियर के विभिन्न विकल्पों और उनकी संभावनाओं के बारे में जागरूक करना था, जिससे वे अपनी भविष्य की योजनाओं को सही दिशा में ले जा सकें। कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों ने वक्ताओं के साथ प्रश्नोत्तर सेशन में अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया और इस तरह सेमिनार ज्ञानवर्धक और सफल रहा। विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन कर्नल प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत, प्रेसीडेंट डॉ एम एस आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह और यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार डॉ एन एन सिंह राठौड़ ने इस अवसर पर शुभकामनाएं प्रेषित की और सन्देश में कहा फार्मेसी फील्ड की संभावनाये काफ़ी व्यापक हैं। दवाइयों की जानकारी रखना और इनसे जुड़ी रिसर्च के बारे में जानना जिन्हें अच्छा लगता है वे इस फील्ड में आ सकते हैं। ये कोर्स करने के बाद कैंडिडेट सरकारी व प्राइवेट के अलावा कई नए करियर से जुड़ सकते हैं। जिसमें सैलरी तो अच्छी मिलती ही है साथ ही नए शोध भी करने को मिलते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ कमल सिंह राठौड़ ने किया।

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